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एक्शन, भारत - पाक के बिच में एक अच्छा सन्देश को दिखाती टाइगर ज़िन्दा हैं ( स्टार 4 /5 )

फिल्म     :        टाइगर ज़िंदा हैं 
श्रेणी      :          एक्शन ड्रामा
 कास्ट    :    सलमान खान, कैटरीना कैफ, सज्जाद डेलाफ्रूज, अंगद बेदी, कुमुद मिश्रा, गिरीश कर्नाड
निर्देशक   :         अली अब्बास जफर
प्रोड्यूसर  : आदित्य चोपड़ा
म्यूजिक    : विशाल- शेखर
रेटिंग      :       4/5
       2012 में आई फिल्म एक था टाइगर सुपर हिट हुई थी और तब से यह अटकले भी लगाए जा रहे थे की इस फिल्म का सीक्वल जरूर बनेगा, और आखिर एक दिन खबर भी आ गई सलमान की आगामी फिल्म होंगी टाइगर ज़िंदा हैं , और 2017 ख़त्म होने से पहले आप सब के सामने आ गई , कैसी है यह फिल्म अधिकतर जनता को पता चल ही गया होगा | 
         कहानी की बात करते हैं  फिल्म 'टाइगर जिंदा है'  इराक में आईएसआईएस ने  40 नर्सों को बंधक बना रखा हैं इन नर्सों में 25 भारतीय और 15 पाकिस्तानी हैं।  टाइगर (सलमान खान) और जोया (कैटरीना कैफ) की इन नर्सो को बचाने में निकल चुके है। टाइगर और जोया के पास काफी कम समय हैं क्योंकि   अमेरिका कहता है कि यदि 7 दिन के अंदर भारत नर्सों को आईएसआईएस के चंगुल से नहीं छुड़ता तो वो बमबारी कर देगा। नर्सों को छुड़ाने का काम भारत-पाकिस्तान द्वारा सांझा रूप से किया जाता है। और इस काम के लिए भारत की तरफ से टाइगर को चुना जाता है। वहीं, पाकिस्तान की तरफ से टाइगर का साथ जोया देती हैं। अब क्या टाइगर को कामयाबी हासिल होती हैं क्या वह सभी नर्सो को बचा पाते हैं | इसके लिए आपको फिल्म देखनी होंगी | 
       निर्देशन की बात करते हैं निर्देशक अली अब्बास जफर की फिल्म का निर्देशन कमाल का है। आप सीट से उठने का नाम ही नहीं लोंगे, अली अब्बास ज़फर ने लोकेशन स्क्रींप्ले से लेकर सवांद हर जगह पर बारीकी से काम किया हैं यहाँ तक फिल्म में सलमान-कैटरानी के एक्शन सीन्स काबिले तारीफ  हैं। 
     अभिनय की बात करते हैं सलमान खान ने बेहतरीन एक्शन के साथ उम्दा अभिनय भी किया हैं । वही कैटरिना ने भी एक्शन करती नज़र आई जो काफी कमाल का भी नज़र आ रहा था | नेगेटिव किरदार करते  सज्जाद डेलाफ्रूज ने अपना रोल बखूबी निभाया हैं | साथ ही अन्य कलाकारों ने भी अपना अपना किरदार खूब निभाया हैं | 
    संगीत की बात करते हैं फिल्म का संगीत ठीक ठाक हैं  स्वैग  से करेंगे सबका स्वागत पहले ही हिट हो चूका हैं वही बैकग्राउंड म्यूजिक भी अच्छा बन पड़ा है। 
 
कमजोर कड़ी की बात करे तो फिल्म थोड़ी लम्बी हैं और कुछ सीन लगता है जैसे काफी लम्बे फिल्माए गए हैं | 
 
पुष्कर ओझा